November 21st, 2025

2:30 PM

4:00 PM

द ल्यूमिनरी आइकॉन्स: रचनात्मक बंधन और ज़बरदस्त अभिनय - अभिनय पर एक संवादात्मक कार्यशाला

दो प्रतिष्ठित कलाकार, खुशबू सुंदर और सुहासिनी मणिरत्नम, प्रभावशाली अभिनय के लिए आवश्यक रचनात्मक केमिस्ट्री और तीव्रता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अभिनय की सूक्ष्म गतिशीलता की खोज करते हुए, अपने पेशेवर ज्ञान को साझा करेंगी। यह सत्र सिनेमाई उत्कृष्टता के पीछे छिपे अनकहे बंधनों और प्रबल प्रतिबद्धता पर गहराई से चर्चा करेगा। यह महत्वाकांक्षी कलाकारों को सिनेमा में अपने सफ़र और अनुभवों पर चर्चा करते हुए अनुभवी अभिनेताओं की तकनीकों और सहयोगात्मक भावना पर एक अमूल्य नज़र डालने का अवसर प्रदान करता है।

November 22nd, 2025

11:30 AM

1:00 PM

'यूरेशियन फेस्टिवल फ्रंटियर : "क्या हमें ए.आई. की दुनिया में सिनेमा को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है?", सुश्री ट्रिशिया टटल (फेस्टिवल डायरेक्टर बर्लिनेल ) एवं श्री शेखर कपूर (फेस्टिवल डायरेक्टर इफ्फी ) के बीच एक संवाद सत्र

फेस्टिवल डायरेक्टर की यह परिचर्चा इस बात पर केंद्रित है कि फिल्म फेस्टिवल आधुनिक मीडिया वातावरण के साथ कैसे तालमेल बैठा रहे हैं। यह चर्चा डिजिटल तकनीक की दोहरी भूमिका — एक चुनौती और एक अवसर — पर केंद्रित है, जो कहानी कहने की संभावनाओं और दर्शकों की भागीदारी को बढ़ाने में मदद करती है। वे इस पर भी चर्चा करेंगे कि सिनेमा को एक कला रूप के रूप में संरक्षित करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, विविध कथाओं को प्रोत्साहित करने और वैश्विक दर्शकों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने के लिए फेस्टिवलों की क्या भूमिका है।

November 22nd, 2025

4:30 PM

6:00 PM

श्वास एवं भावना: रंगमंच गुरु श्री विनयकुमार आदिशक्ति द्वारा प्रस्तुतियों पर एक मास्टरक्लास

आदिशक्ति ने भावनाओं और मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियों को जागृत करने के लिए एक शुद्ध शारीरिक कला विकसित की है। चूंकि श्वास विचार और भावना की भौतिक अभिव्यक्ति है, इसलिए प्रत्येक भावना की अपनी विशिष्ट श्वास शैली होती है। कूडीअट्टम अभ्यास में 8 प्रमुख श्वास पैटर्न का ज्ञान था, जो नाट्यशास्त्र में वर्णित 8 भावनाओं से संबंधित थे। यह कोडिफिकेशन दैनिक जीवन में श्वास के व्यवहार के अध्ययन से विकसित हुआ है।

November 23rd, 2025

4:30 PM

6:00 PM

लता मंगेशकर स्मृति वार्ता: भारत की लय: हिमालय से दक्कन तक

यह सत्र भारत कोकिला, लता मंगेशकर को एक भावपूर्ण वार्षिक श्रद्धांजलि है। इस वर्ष का सत्र विशाल भारद्वाज और बी. अजनीश लोकनाथ के बीच एक अंतर-सांस्कृतिक संगीत संवाद है, जो भारत के विशाल संगीत परिदृश्य की खोज करता है। हिमालय से दक्कन तक फैले हिंदुस्तानी, कर्नाटक, लोक, पॉप और भारतीय संगीत के प्रभावों को आत्मसात करते हुए, ये प्रसिद्ध संगीतकार 'ठीक नहीं लगता' से 'कंतारा' तक के अपने सफ़र के ज़रिए संगीत की भावपूर्ण एकरूपता को समझाते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

November 23rd, 2025

11:30 AM

1:00 PM

हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है !

यह मास्टरक्लास व्यक्तिगत अनुभव और भावनात्मक सत्य का उपयोग करके प्रामाणिक और प्रभावशाली ऑन-स्क्रीन प्रदर्शन बनाने की प्रक्रिया पर केंद्रित है। इसमें आवाज़, शारीरिक भाषा और सीन वर्क पर व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं, जिससे अभिनय की अनुशासनात्मक कला और फिल्म की आवश्यकताओं के बीच सेतु स्थापित किया  जा सके।

November 24th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

मस्तिष्क से पर्दे तक : दृष्टि से निष्पादन तक - संपादन कार्यशाला

यह कार्यशाला पोस्ट-प्रोडक्शन की कला और तकनीकी प्रक्रिया में गहराई से उतरती है, यह बताती है कि निर्देशक की कच्ची दृष्टि को एक परिष्कृत और प्रभावशाली अंतिम कट में कैसे बदला जाए। यह सत्र सॉफ़्टवेयर के तकनीकी कौशल के साथ-साथ दृश्य कहानी कहने के रचनात्मक सिद्धांतों — गति, लय और भावनात्मक प्रवाह — पर केंद्रित है।

November 24th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

अभिलेखागार को खोलना: पुनरुद्धार के माध्यम से सिनेमाई इतिहास को पुनर्परिभाषित करना - महाभारत पर केस स्टडी

यह विषय इस बात की पड़ताल करता है कि फ़िल्म पुनरुद्धार कैसे भारत के सिनेमाई इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्परिभाषित करता है। पीटर ब्रुक की 1989 की फ़िल्म, महाभारत के 8K पुनरुद्धार को एक केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल करते हुए, यह अभिलेखीय कृतियों को समकालीन दर्शकों तक वापस लाने की तकनीकी, कानूनी और कलात्मक चुनौतियों का पता लगाता है। वक्ता प्राचीन महाकाव्य के विषयों को आधुनिक दुनिया के लिए दुखद रूप से प्रासंगिक मानते हैं, विशेष रूप से संघर्ष, नैतिकता और पृथ्वी के मूल्य के बारे में इसके गहन संदेशों को। चर्चा वैश्विक संदर्भ में फिल्म की नई प्रासंगिकता का विश्लेषण करती है और यह भी बताती है कि कैसे पुनर्स्थापन, भावी पीढ़ियों के लिए महाकाव्य कथाओं के संरक्षण और पुनर्व्याख्या को सुनिश्चित करता है।

November 25th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

लेंस के माध्यम से : हर फ्रेम में भावना गढ़ना

यह सत्र कैमरे के संचालन की तकनीकीताओं को समझकर दृश्य प्रभाव को बढ़ाने की कला को समर्पित है। इसमें बताया गया है कि सिनेमैटोग्राफर प्रकाश, रंग, रचना और लेंस चयन जैसे मूल दृश्य तत्वों का उपयोग करके भावनाओं को कैसे आकार देते हैं। प्रतिभागी सीखेंगे कि हर फ्रेम को कथा उपकरण के रूप में कैसे उपयोग किया जाए ताकि फिल्म का मूड, पात्र की दृष्टि और विषयगत संदेश प्रभावी रूप से प्रस्तुत हो सके।

November 25th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

एल्गोरिथ्म से परे : ए.आई. की दुनिया में सिनेमा का मानवीय हृदय

फिल्म निर्माण के भविष्य में एआई बनाम मानवीय भावना और रचनात्मकता की भूमिका इस सत्र का उद्देश्य होगी। यह इस बात पर गहराई से विचार करेगा कि सिनेमा की मूल मानवता, एल्गोरिथ्म आधारित सामग्री स्वचालन का कैसे विरोध करती है। तेजी से ए.आई.-संचालित मीडिया परिदृश्य में कहानीकारों के लिए चुनौतियों और अवसरों को जानने के लिए साक्षत्कार सत्र में शामिल हों, तकनीकी बदलावों के बावजूद सिनेमा की आत्मा को संरक्षित करने पर चर्चा।

November 26th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

कॉस्ट्यूम और कैरेक्टर आर्क : सिनेमा के ट्रेंडसेटर्स

यह चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि कॉस्ट्यूम डिज़ाइन कैसे किसी पात्र की भौतिक और भावनात्मक दुनिया को बनाता है और कहानी में उसके परिवर्तन को दर्शाता है। इसमें यह विश्लेषण किया गया है कि डिज़ाइनर किस तरह सोच-समझकर चयन करते हैं जिससे कहानी कहने की शक्ति बढ़ती है।

November 26th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

अँगूठे से आगे : फिल्म समीक्षक की भूमिका – गेटकीपर, प्रभावशाली या कुछ और?

यह चर्चा इस बात की पड़ताल करती है कि त्वरित समीक्षाओं और यूज़र जनरेटेड सामग्री के इस युग में एक फिल्म समीक्षक की वास्तविक भूमिका क्या है। क्या वह अब भी गुणवत्ता के संरक्षक हैं, या केवल प्रभावशाली व्यक्ति जो दर्शकों की राय को दिशा देते हैं, या उनका मूल्य किसी और रूप में है? यह चर्चा समीक्षक की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करती है, दर्शकों की गहन भागीदारी और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

November 27th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

उत्तर-पूर्व की नई लहर : फिल्म स्कूलों से उभरते प्रतिष्ठित उत्तर के फिल्मकार

यह विषय भारतीय फिल्म स्कूलों से उभरते नई पीढ़ी के फिल्मकारों, विशेष रूप से उत्तर-पूर्व क्षेत्र के निर्देशकों के उदय का विश्लेषण करता है। चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि ये संस्थान किस तरह से नई आवाज़ों और अनोखी कथाओं के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं, और इन निर्देशकों का भारतीय सिनेमा पर क्या प्रभाव पड़ा है।

November 21st, 2025

2:30 PM

4:00 PM

द ल्यूमिनरी आइकॉन्स: रचनात्मक बंधन और ज़बरदस्त अभिनय - अभिनय पर एक संवादात्मक कार्यशाला

दो प्रतिष्ठित कलाकार, खुशबू सुंदर और सुहासिनी मणिरत्नम, प्रभावशाली अभिनय के लिए आवश्यक रचनात्मक केमिस्ट्री और तीव्रता पर ध्यान केंद्रित करते हुए, अभिनय की सूक्ष्म गतिशीलता की खोज करते हुए, अपने पेशेवर ज्ञान को साझा करेंगी। यह सत्र सिनेमाई उत्कृष्टता के पीछे छिपे अनकहे बंधनों और प्रबल प्रतिबद्धता पर गहराई से चर्चा करेगा। यह महत्वाकांक्षी कलाकारों को सिनेमा में अपने सफ़र और अनुभवों पर चर्चा करते हुए अनुभवी अभिनेताओं की तकनीकों और सहयोगात्मक भावना पर एक अमूल्य नज़र डालने का अवसर प्रदान करता है।

November 22nd, 2025

11:30 AM

1:00 PM

'यूरेशियन फेस्टिवल फ्रंटियर : "क्या हमें ए.आई. की दुनिया में सिनेमा को नए सिरे से परिभाषित करने की आवश्यकता है?", सुश्री ट्रिशिया टटल (फेस्टिवल डायरेक्टर बर्लिनेल ) एवं श्री शेखर कपूर (फेस्टिवल डायरेक्टर इफ्फी ) के बीच एक संवाद सत्र

फेस्टिवल डायरेक्टर की यह परिचर्चा इस बात पर केंद्रित है कि फिल्म फेस्टिवल आधुनिक मीडिया वातावरण के साथ कैसे तालमेल बैठा रहे हैं। यह चर्चा डिजिटल तकनीक की दोहरी भूमिका — एक चुनौती और एक अवसर — पर केंद्रित है, जो कहानी कहने की संभावनाओं और दर्शकों की भागीदारी को बढ़ाने में मदद करती है। वे इस पर भी चर्चा करेंगे कि सिनेमा को एक कला रूप के रूप में संरक्षित करने, सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने, विविध कथाओं को प्रोत्साहित करने और वैश्विक दर्शकों तक प्रभावी ढंग से पहुंचने के लिए फेस्टिवलों की क्या भूमिका है।

November 22nd, 2025

4:30 PM

6:00 PM

श्वास एवं भावना: रंगमंच गुरु श्री विनयकुमार आदिशक्ति द्वारा प्रस्तुतियों पर एक मास्टरक्लास

आदिशक्ति ने भावनाओं और मनोवैज्ञानिक अभिव्यक्तियों को जागृत करने के लिए एक शुद्ध शारीरिक कला विकसित की है। चूंकि श्वास विचार और भावना की भौतिक अभिव्यक्ति है, इसलिए प्रत्येक भावना की अपनी विशिष्ट श्वास शैली होती है। कूडीअट्टम अभ्यास में 8 प्रमुख श्वास पैटर्न का ज्ञान था, जो नाट्यशास्त्र में वर्णित 8 भावनाओं से संबंधित थे। यह कोडिफिकेशन दैनिक जीवन में श्वास के व्यवहार के अध्ययन से विकसित हुआ है।

November 23rd, 2025

4:30 PM

6:00 PM

लता मंगेशकर स्मृति वार्ता: भारत की लय: हिमालय से दक्कन तक

यह सत्र भारत कोकिला, लता मंगेशकर को एक भावपूर्ण वार्षिक श्रद्धांजलि है। इस वर्ष का सत्र विशाल भारद्वाज और बी. अजनीश लोकनाथ के बीच एक अंतर-सांस्कृतिक संगीत संवाद है, जो भारत के विशाल संगीत परिदृश्य की खोज करता है। हिमालय से दक्कन तक फैले हिंदुस्तानी, कर्नाटक, लोक, पॉप और भारतीय संगीत के प्रभावों को आत्मसात करते हुए, ये प्रसिद्ध संगीतकार 'ठीक नहीं लगता' से 'कंतारा' तक के अपने सफ़र के ज़रिए संगीत की भावपूर्ण एकरूपता को समझाते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते हैं।

November 23rd, 2025

11:30 AM

1:00 PM

हार मान लेना कोई विकल्प नहीं है !

यह मास्टरक्लास व्यक्तिगत अनुभव और भावनात्मक सत्य का उपयोग करके प्रामाणिक और प्रभावशाली ऑन-स्क्रीन प्रदर्शन बनाने की प्रक्रिया पर केंद्रित है। इसमें आवाज़, शारीरिक भाषा और सीन वर्क पर व्यावहारिक सुझाव दिए गए हैं, जिससे अभिनय की अनुशासनात्मक कला और फिल्म की आवश्यकताओं के बीच सेतु स्थापित किया  जा सके।

November 24th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

मस्तिष्क से पर्दे तक : दृष्टि से निष्पादन तक - संपादन कार्यशाला

यह कार्यशाला पोस्ट-प्रोडक्शन की कला और तकनीकी प्रक्रिया में गहराई से उतरती है, यह बताती है कि निर्देशक की कच्ची दृष्टि को एक परिष्कृत और प्रभावशाली अंतिम कट में कैसे बदला जाए। यह सत्र सॉफ़्टवेयर के तकनीकी कौशल के साथ-साथ दृश्य कहानी कहने के रचनात्मक सिद्धांतों — गति, लय और भावनात्मक प्रवाह — पर केंद्रित है।

November 24th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

अभिलेखागार को खोलना: पुनरुद्धार के माध्यम से सिनेमाई इतिहास को पुनर्परिभाषित करना - महाभारत पर केस स्टडी

यह विषय इस बात की पड़ताल करता है कि फ़िल्म पुनरुद्धार कैसे भारत के सिनेमाई इतिहास और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्परिभाषित करता है। पीटर ब्रुक की 1989 की फ़िल्म, महाभारत के 8K पुनरुद्धार को एक केस स्टडी के रूप में इस्तेमाल करते हुए, यह अभिलेखीय कृतियों को समकालीन दर्शकों तक वापस लाने की तकनीकी, कानूनी और कलात्मक चुनौतियों का पता लगाता है। वक्ता प्राचीन महाकाव्य के विषयों को आधुनिक दुनिया के लिए दुखद रूप से प्रासंगिक मानते हैं, विशेष रूप से संघर्ष, नैतिकता और पृथ्वी के मूल्य के बारे में इसके गहन संदेशों को। चर्चा वैश्विक संदर्भ में फिल्म की नई प्रासंगिकता का विश्लेषण करती है और यह भी बताती है कि कैसे पुनर्स्थापन, भावी पीढ़ियों के लिए महाकाव्य कथाओं के संरक्षण और पुनर्व्याख्या को सुनिश्चित करता है।

November 25th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

लेंस के माध्यम से : हर फ्रेम में भावना गढ़ना

यह सत्र कैमरे के संचालन की तकनीकीताओं को समझकर दृश्य प्रभाव को बढ़ाने की कला को समर्पित है। इसमें बताया गया है कि सिनेमैटोग्राफर प्रकाश, रंग, रचना और लेंस चयन जैसे मूल दृश्य तत्वों का उपयोग करके भावनाओं को कैसे आकार देते हैं। प्रतिभागी सीखेंगे कि हर फ्रेम को कथा उपकरण के रूप में कैसे उपयोग किया जाए ताकि फिल्म का मूड, पात्र की दृष्टि और विषयगत संदेश प्रभावी रूप से प्रस्तुत हो सके।

November 25th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

एल्गोरिथ्म से परे : ए.आई. की दुनिया में सिनेमा का मानवीय हृदय

फिल्म निर्माण के भविष्य में एआई बनाम मानवीय भावना और रचनात्मकता की भूमिका इस सत्र का उद्देश्य होगी। यह इस बात पर गहराई से विचार करेगा कि सिनेमा की मूल मानवता, एल्गोरिथ्म आधारित सामग्री स्वचालन का कैसे विरोध करती है। तेजी से ए.आई.-संचालित मीडिया परिदृश्य में कहानीकारों के लिए चुनौतियों और अवसरों को जानने के लिए साक्षत्कार सत्र में शामिल हों, तकनीकी बदलावों के बावजूद सिनेमा की आत्मा को संरक्षित करने पर चर्चा।

November 26th, 2025

2:30 PM

4:00 PM

कॉस्ट्यूम और कैरेक्टर आर्क : सिनेमा के ट्रेंडसेटर्स

यह चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि कॉस्ट्यूम डिज़ाइन कैसे किसी पात्र की भौतिक और भावनात्मक दुनिया को बनाता है और कहानी में उसके परिवर्तन को दर्शाता है। इसमें यह विश्लेषण किया गया है कि डिज़ाइनर किस तरह सोच-समझकर चयन करते हैं जिससे कहानी कहने की शक्ति बढ़ती है।

November 26th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

अँगूठे से आगे : फिल्म समीक्षक की भूमिका – गेटकीपर, प्रभावशाली या कुछ और?

यह चर्चा इस बात की पड़ताल करती है कि त्वरित समीक्षाओं और यूज़र जनरेटेड सामग्री के इस युग में एक फिल्म समीक्षक की वास्तविक भूमिका क्या है। क्या वह अब भी गुणवत्ता के संरक्षक हैं, या केवल प्रभावशाली व्यक्ति जो दर्शकों की राय को दिशा देते हैं, या उनका मूल्य किसी और रूप में है? यह चर्चा समीक्षक की भूमिका को नए सिरे से परिभाषित करती है, दर्शकों की गहन भागीदारी और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

November 27th, 2025

11:30 AM

1:00 PM

उत्तर-पूर्व की नई लहर : फिल्म स्कूलों से उभरते प्रतिष्ठित उत्तर के फिल्मकार

यह विषय भारतीय फिल्म स्कूलों से उभरते नई पीढ़ी के फिल्मकारों, विशेष रूप से उत्तर-पूर्व क्षेत्र के निर्देशकों के उदय का विश्लेषण करता है। चर्चा इस बात पर केंद्रित है कि ये संस्थान किस तरह से नई आवाज़ों और अनोखी कथाओं के लिए एक केंद्र के रूप में कार्य कर रहे हैं, और इन निर्देशकों का भारतीय सिनेमा पर क्या प्रभाव पड़ा है।